Monday, January 31, 2011

बेलगाम डॉक्टर



अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के एक सर्जरी डॉक्टर पर आठ वर्षीय ट्यूमर के मरीज के साथ कुकर्म का आरोप लगा है उधर जीटीबी अस्पताल में इलाज के दौरान दवा देने के कुछ देर बाद ही 40 साल के एक व्यक्ति की मौत हो गयी। आरोप है कि मृतक के परिजनों ने जब डॉक्टरी लापरवाही का आरोप लगाया तो डॉक्टरों ने मृतक के परिजनों व महिलाओं को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा । परिजनों का यह भी आरोप है कि डॉक्टर ने इलाज में लापरवाही बरती थी तथा ठीक से इलाज नहीं किया है। दवा देने के बाद कोई डॉक्टर देखने नहीं आया । घर ले अस्पताल लाते समय वह बिलकुल ठीक था । दवा देने से ही उसकी मौत हुई है । आये दिन डॉक्टरी लापरवाहियों से कई रोगियों की मौत हो जाती है । डॉक्टर मरीजों को ठीक से देखते नहीं और महिला मरीजों के साथ अभद्र व्यवहार करने के कई मामले सामने आते रहते हैं । अभी ज्यादा दिन नहीं हुये जब कानपुर के एक सरकारी चिकित्सालय में एक लड़की की मौत हो गयी थी । परिजनों ने अस्पताल में दुष्कर्म का आरोप लगाया था। मुम्बई में कुछ दिन पहले ही एक ऐसी ही घटना हुई थी । सवाल यह है कि भगवान का दर्जा पाने वाले डॉक्टर हैवान क्यों बनते जा रहें हैं ? मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया उन पर लगाम क्यों नहीं लगा रहा है ? मरीजों के परिजनों की तुलना उच्च दर्जें के शिक्षित-प्रशिक्षित डॉक्टरों से नहीं की जा सकती । लेकिन ऐसा कई बार हुआ जब तीमारदारों से सीनियर जूनियर डॉक्टरों ने मारपीट की । इतना ही नहीं कई बार तो यह तनातनी इतनी बढ़ चुकी है कि हास्पिटल में हड़ताल और बंद का माहौल भी देखने को मिले हैं और इसकी वजह से मरीजों की जानें भी गयीं हैं।
इन सब मामलों के लिये केवल तीमारदारों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता और डॉक्टरों की तानाशाही अक्षम्य है । लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं को संचालित करने वाली संस्थाएं कोई भी ठोस कदम उठाने में नाकाम रही हैं । इससे अलग सरकारी व गैर सरकारी अस्पतालों में भी महिलाओं, लड़कियों से डॉक्टरों द्वारा दुष्कर्म और कुकर्म की ख़बरों पर भी सरकार कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाती है । यही वजह है कि डॉक्टरों की मनमानी और लापरवाही बढ़ती जा रही है । केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को और राज्य सरकारों को मिलकर एक सिस्टम तैयार करना होगा । डॉक्टरों की लापरवाही और मरीजों से छेड़छाड़ समेत दुष्कर्म की घटनाओं को गंभीरता से लेना होगा । यह जिम्मेदारी एमसीआई की है कि वह डॉक्टरों को सदाचार का पाठ कैसे पढ़ाती है ।

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