Friday, August 27, 2010

"नकलची न्यायमूर्ति"


हैदराबाद हाई कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के पांच जजों को निलंबित कर दिया है । जजों को यह सजा नकल करने के जुर्म में दी गयी है । वारंगल जिले के पांच जजों को कानून की स्नातकोत्तर परीक्षा के दौरान नकल करते पकड़ा गया । कुल आठ नकलची पकड़े गये थे जिनमें वारंगल के सीनियर जिला जज हनुमंतराव, बापतला के सीनियर सिविल जज निवास चारी ,रंगारेड्डी ज़िले के सेकेंड सिविल जज विज्येंद्र रेड्डी,सीनियर सिविल जज अजीत सिंह राव और अनंतपुर के सिविल जज एम कृष्णप्पा शामिल है बाकी 3 कोर्ट के ही कर्मचारी है जिन्हें परीक्षा के दौरान नकल करते पकड़ा गया । यह परीक्षा वारंगल ज़िलें में काकातियां विश्वविद्यालय के ऑर्टस कालेज में चल रही थी। देश के इतिहास में यह पहला मौका है जब जजों को रंगे हाथ पकड़ा गया हो। हमारे देश में नौकरशाही और नेतानगरी तो भ्रष्टचार में डूबी ही है न्यायपालिका पर भी आरोप लगते रहे है कि जज बिकते है और न्याय खरीदा जाता है । पूर्व मुख्य न्यायाधीश के.जी.बालाकृष्णन ने भी इस बात को माना था कि न्यायपालिका में अब भ्रष्टाचार की बू आने लगी है लेकिन उन्होंने यह कहा था कि यह जिला अदालतों में ही अधिक है । लेकिन यहां तो वरिष्ठ जज ही नकल कर रहे है तो फिर न्याय के मामले में वो कहा तक पारदर्शिता बरतते होंगे। जब जज ही जुर्म कर रहे है तो फिर न्यायपालिका और न्यायाधीशों पर विश्वास कैसे किया जा सकता है । लोकतंत्र का सबसे मजबूत खंभा आज भ्रष्टाचार के किस दलदल में डूबा है यह बताने के लिये यह वाक्या काफी है । जब जज नकल कर रहे है तो फिर समाज और देश के सामने ऐसे न्यायधीश क्या आदर्श प्रस्तुत कर पायेंगे। जजों का यह रवैया उनकी योग्यता और पद पर भी सवाल खड़ा करता है । जो खुद ही नकल करते पकड़े जा रहे है वो अहम मुक्दमों में कैसे फैसले लेते होंगे। यह गिरते न्यायाधीशों के चरित्र का नमूना है। कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पी.डी दिनाकरण के उपर भ्रष्टाचार के कई आरोप भी लगे यहां तक की उनको महाभियोग की कार्रवाई का समना भी करना पड़ा लेकिन बाद में मुख्य न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट एच.एस कपाड़िया ने राष्ट्रपति प्रतिभा सिंह पाटिल से परामर्श कर दिनाकरण को सिक्किम हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बना दिया गया । ऐसे कई नाम है जो न्याय व्यवस्था से जुड़े लोग है जो न्यायपालिका को बदनाम करते रहे है । सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता आर.के. आनंद को संजीव नंदा केस में पैसा लेते हुये स्टिंग ऑपरेशन भी हुआ आनंद दोषी भी पायेगये । लेकिन क्या न्याय के बिक्रेताओं पर लगाम लगी। हमेशा स्थानीय अदलतों में ही भ्रष्टाचार का आरोप लगाया जाता है जब की इसकी जड़े गहरी है और जो नकल और अकल का हर काम करते है हमारी न्यायपालिका के गिरते स्तर का यह एक छोटा उदाहरण है हक़ीक़त इससे भी भयावह है । (अमर भारती दैनिक में 28 अगस्त 2010 को प्रकाशित )

3 comments:

संगीता पुरी said...

इस सुंदर नए चिट्ठे के साथ आपका ब्‍लॉग जगत में स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

अजय कुमार said...

हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

Anonymous said...

"हमारी न्यायपालिका के गिरते स्तर का यह एक छोटा उदाहरण है हक़ीक़त इससे भी भयावह है"
चिंतनीय और निंदनीय