Tuesday, July 20, 2010

वजूद की लड़ाई

आन्ध्र प्रदेश के युवा कांग्रेस सांसद जगनमोहन रेड्डी आज कल अपने वजूद की लड़ाई लड़ रहे है अगर यह कहा जायें तो गलत नहीं होगा। अपने पिता व मुख्यमंत्री वाईएसआर रेड्डी के हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत के बाद की शोक सभा में जान गवांने वाले लोगों को सांत्वना देने की यात्रा में लगे सांसद जगनमोहन आज कल कांग्रेस के लिये मुसीबत बने हुये है । जगनमोहन रेड्डी अपनी इस यात्रा की अनुमति लेने सपरिवार कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मिले थे और सोनिया ने यात्रा न निकालकर जगन से लोगों को व्यक्तिगत रुप से सांत्वना देने की सलाह दी थी । लेकिन सांसद जगनमोहन रेड्डी ने कांग्रेस अध्यक्ष की बात को नज़र अंदाज किया और अपनी यात्रा पर निकल पड़े। जगन की इस यात्रा से कांग्रेस की मुश्किले बढ़ सकती है और विपक्ष टीडीपी को काफी फायदा हो सकता है । दक्षिण भारत में कांग्रेस का जनाधार नहीं के बराबर है । केवल आंध्रप्रदेश में ही कांग्रेस की सत्ता है वह भी अब ख़तरे में है तो कांगेस को बेचैनी होनी भी जायज है । टीडीपी (तेलगू देशम पार्टी) मुखिया चन्द्रबाबू नायडू ने बावली ड्रैम का मुद्दा उछालकर राज्य और केंद्र की सरकार को परेशानी में पहले ही डाल दिया है । ऐसे में जगन की यह यात्रा कांग्रेस के लिये परेशानी का सबब पैदा करती दिख रही है, लेकिन सांसद जगन आम जनता से एक ही सवाल करते है कि सांत्वना यात्रा कर हमने गलती कहां की । दरअसल यहां यात्रा को यात्रा नहीं बल्कि अपने पिता के वोट बैक को बरकरार रखने और अगली विधानसभा में बिना किसी मसक्कत के कांग्रेस को अपनी बात मानने पर मज़बूर करने की एक सोची समझी चाल है । सांसद जगनमोहन रेड्डी को यह मालुम है कि कांग्रेस वाईएसआर रेड्डी की मौत के बाद ही उनको मुख्यमंत्री बनाने के लिये तैयार नहीं थी और तब से अब तक रेड्डी की पकड़ पार्टी और प्रदेश की जनता पर कमजोर हुयी है इस बात को जगनमोहन रेड्डी भी समझते है । वाईएसआर रेड्डी की हेलीकॉप्टर दुर्घटना पर जो सहानुभूति जगन को मिल रही है वह धीरे धीरे कम होती जा रही है । जगन इस बात को अच्छी तरह जानते है कि जो समर्थन आज उनको मिल रहा है वह समय के साथ कम होगा । अब जगनमोहन रेड्डी कांग्रेस को यह जताने का कोई मौका जाया नहीं होने देना चाहते जिससे कांग्रेस आगामी चुनाव में जगन की बातों को अनसुना कर सके और कांग्रेस जगन को मजबूत होते देखना नहीं चाहती । कुल मिलाकर यह जगन की यात्रा सहानुभूति की यात्रा कम राजनीतिक वजूद को बरकरार रखने की कवायद ज्यादा है तो कांग्रेस की, पार्टी में जगन के हस्तक्षेप को कम करने की एक सोची समझी रणनीति।

No comments: