Tuesday, July 20, 2010

त्रासदी से सबक नहीं

त्रासदी से सबक नहीं
बाम्बे पोर्ट ट्रस्ट (बीटीपी) में कलोरीन गैस रिसाव की घटना और पश्चिम बंगाल के दुर्गा पुर में स्टील प्लांट में मीथेन गैस के लीक से यह जाहिर है कि हम भोपाल गैस कांड के बाद भी कोई सीख नहीं ले सके है । लाखों लोगों की ज़िंदगी से खिलवाड़ करने के बाद भी हमारी औद्योगिक सुरक्षा नीति में कोई सुधार नहीं आया । बाम्बें पोर्ट ट्रस्ट (बीपीटी) में क्लोरीन गैस रिसाव से सैकड़ों लोग बीमार हो गये । शिवड़ी पुलिस ने अज्ञात व्यक्ति के ख़िलाफ़ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज़ कर जांच शुरु कर दिये है । कहा जाता है कि पोर्ट ट्रस्ट पर पिछले 10 सालों से सिलेडर पड़े थे । ट्रस्ट का कहना है कि 141 सिलेडरों में से केवल 5 सिलेडरों में ही गैस थी बाकी 136 खाली थे । लेकिन क्या गैस सिलेडरों की देखभाल कर रहे लोगों को इसका इल्म था कि यह कितना ख़तरनाक है । सिलेन्डरों की रखवाली का काम बीपीटी कर रही था, लिहाजा जिम्मेदारी उसी की बनती है । लेकिन पुलिस ने बीपीटी पर कार्रवाई करना तो दूर अभी तक जिम्मेदार ही नहीं माना है । ऐसा ही कुछ पश्चिम बंगाल के दुर्गा पुर स्टील प्लांट में गैस रिसाव में भी देखने को मिला । मीथेन गैस के रिसाव से बीमार सैकड़ों लोगों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। कुछ लोगों को अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी है लेकिन कुछ लोगों के शरीर, आँख, नाक, पर ख़तरनाक सिम्पटम अब भी देखे जा सकते है । इतने बड़े स्तर पर लापरवाही के बाद भी पूरे मामले की लेकिन जिम्मेदारी लेने को कोई तैयार नहीं । भोपाल गैस त्रासदी के 25 साल बाद भी हमारा औद्योगिक सुरक्षा तंत्र जहां था वहीं पर है । देश की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी से सरकार और औद्योगिक क्षेत्र के नुमाइंदों ने कोई सीख नहीं ली । अगर ऐसा है तो आखिर क्यों । ऐसे मामले कितने ही गंभीर हो लेकिन लीपापोती करने की कोशिश होती ही है और असली गुनहगार उसी तरह सलाखों के बाहर होता है, जिस तरह भोपाल गैस कांड में दोषी चाहे भारतीय रहे हो या विदेशी कोई भी सलाखों के पीछे नहीं है । सबसे अहम तो यह है कि ऐसे मामलों में आरोपियों को कड़ी सज़ा दिलाने के लिये हमारे पास क़ानून का भी अभाव है आरोप कितना भी गंभीर हो लेकिन दोष सिद्ध होने और सजा होने में सालों लगते हैं और सजा होती भी है तो भोपाल गैस कांड की तरह । बाम्बे पोर्ट ट्रस्ट (बीपीटी) में क्लोरीन गैस का रिसाव हो या पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर स्टील प्लांट में मीथेन गैस के लीक होने का मामला, ऐसी लापरवाहियों को हर बार नज़र अंदाज़ नहीं किया जा सकता । सरकार को इस तरह की घटनाओं को गंभीरता से लेना चाहियें । नहीं तो दूसरी औद्योगिक त्रासदी होते

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