Saturday, December 18, 2010

गैर जिम्मेदार राहुल

गांधी जी को याद करो राहुल

विकिलीक्स के ताजा खुलासे ने भारत की राजनीति में तूफान ला दिया है।
राहुल गांधी के गैर जिम्मेदराना बयानों ने पहले भी खूब सुर्खियां बटोरी
थीं लेकिन इस बार राहुल की हिंदू संगठनों पर टिप्पणी कांग्रेस और राहुल
की निम्न सोच को प्रतिबम्बित कर रही है । खुलासे के मुताबिक राहुल गांधी अपने संसदीय क्षेत्र
अमेठी में अमेरिकी राजदूत की यात्रा के समय हिंदूवादी संगठनों को
इस्लामिक आतंकवादियों से भी ख़तरनाक मान रहें है ।

राहुल गांधी के बयान ने सियासी हलकों में तूफान खड़ा कर दिया है । ये वही राहुल हैं जिन्हें देश का युवा अपना आदर्श मान रहा था और प्रधानमंत्री से लेकर वित्तमंत्री और तमाम कांग्रेसी
नेता तक राहुल को पीएम की कमान सौंपे जाने की वकालत करने में मशगूल हैं। देश का युवावर्ग भी कुछ ऐसा ही सोच रहा था लेकिन राहुल कभी भी इन उम्मीदों पर खरे नहीं उतर सके।

राहुल गांधी का यह बयान, बयान नहीं हैं सियासत भी नहीं है यह उनकी अपरिपकव सोच है जो कई बार देश के राजनीति में भूचाल ला चुकी है । राहुल के महासचिव बने करीब दो साल का समय हो चुका है लेकिन कभी भी वह देश की समस्याओं के प्रति गंभीर नहीं दिखे । जब-जब देश को एक ऐसे चेहरे की जरुरत महसूश हुईं जो देश की चमक को बढ़ा सके राहुल तमाशबीन ही बने रहे । राहुल को देश की चिंता नहीं बल्कि सत्ता में बने रहने और हर राज्य में कांग्रेसी राज का झंडा फहराना ही अब राहुल की नियति बन चुकी है । बिहार में इसका नमूना और राहुल का करिश्मा देखने को भी मिल चुका है ।

सवाल यह है कि आखिर राहुल गांधी से उम्मीदें क्यों है क्या वह कांग्रेस के उत्तराधिकारी हैं इस लिये या इस लिये की वो युवा वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं । सालों से जलता कश्मीर, राष्ट्रमंडल खेलों पर पहले संकट और फिर घोटाला, आदर्श कांड, महंगाई से परेशान आम आदमी और भारत बंद, देश आतंकवाद और नक्सलवाद में झुलस रहा है क्या इन मुददों पर राहुल ने कभी कुछ किया जिससे उनकी कर्मठता और देश के प्रति समर्पण की पुष्टि होती । लेकिन इनमें से राहुल ने किसी भी मुददे पर सकारात्मक पहल नहीं की जिससे उनके नेतृत्व को पहचाना जा सके । कभी सिमी की तुलना बजरंगदल से की तो कभी हिंदूवादी संगठनों को लस्करे तोयबा से भी ख़तरनाक बताया । क्या यही है देश को नेतृत्व देने की काबिलियत का पैमाना जिस पर पीएम से लेकर हर कांग्रेसी नेता राहुल का नाम पीएम के लिये लेता रहा है ।

बेहतर होता कि देश की कमान संभालने के लिये राहुल राग अलापने वाली कांग्रेस पहले राहुल को पार्टी पद से हटा कर किसी मंत्री पद पर तैनाती कर उनकी जिम्मेदारियों को परखती । राहुल के बयान उनकी अधकचरी सोच का नमूना हैं । ये बयान उस समय आ रहे हैं जब केंद्र सरकार हर मोर्चें पर नाकाम है । मतलब यह है कि क्या राहुल खुद अपनी पहचान बनाने में असफल रहे हैं और उनका यह बयान उसी हताशा की वजह से है। देश को जोड़ने की जरुरत है तोड़ने की नहीं । राहुल यह कब समझेंगे।
अखिलेश कृष्ण मोहन 
लेखक अमर भारती दैनिक के उपसंपादक/संवाददाता हैं।
akhileshnews@gmail.com

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