Saturday, December 4, 2010

सामान्य ज्ञान और मनोरंजन


सामान्य ज्ञान को मनोरंजन न समझे यह जरुरी है और ज्ञान की पूर्णता के लिये अनिवार्य है । अमूमन जीवन में दो तरह के ज्ञान की जरुरत होती है। सामान्य ज्ञान और विशेषज्ञता की । कुछ बुद्धिजीवियों का विचार है कि एक्सपर्टीज ज़रुरी है । यानी किसी भी एक विषय या क्षेत्र में माहिर होना जरुरी है और हर विषय का ज्ञान विशेषज्ञता के लिए ख़तरा है ।

बहुत सारी चीजों के प्रति उत्साह आप की किसी एक विषय के प्रति गंभीरता को ख़त्म कर देती है । लेकिन इस धारणा के विपरीत सोच रखने वाले लोगों की भी कमी नहीं है । कई वरिष्ठ पत्रकारों का मानना है जैक ऑफ आल मास्टर आफ नन यानी सब कुछ जानों किसी एक क्षेत्र विषेश में सिमट कर ही न रह जाओ। इस मुद्दे पर चर्चा करते हुये एक स्मरण याद आ रहा है एक बार पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय विश्वनाथ प्रताप का फ़ैजाबाद के जनमोर्चा अख़बार के कार्यालय पर भूमण्डलीकरण को लेकर कोई कार्यक्रम में जाना हुआ जब कार्यक्रम ख़त्म हुआ तो वहां के वरिष्ठ पत्रकार केसी मिश्रा से जब हमने युवा पत्रकार की हैसियत से आशिर्वाद लेना चाहा तो उन्होंने कहा पत्रकारिता में जैक ऑफ ऑल, मास्टर ऑफ नन के सिद्धांत का पालन करो यही मूलमंत्र है । तब से मेरी धारणा बदल गयी हमने मान लिया सब कुछ जानना ही पत्रकारिता का पहला वसूल है और जीवन का भी । आज जीवन के किसी भी क्षेत्र में सर्वज्ञ होना जरुरी ही नहीं अनिवार्य भी है ।

विकास के लिये हर क्षेत्र की जानकारी जरुरी है और यही विकसित राष्ट्र के लिये अहम है । सामान्य ज्ञान को सिर्फ़ मनोरंजन समझना गलत होगा । यह सही है कि मनोरंजन सामान्य ज्ञान है लेकिन सामान्य ज्ञान मनोरंजन नहीं। आज की भागती दौड़ती जिंदगी में किसी के पास समय भले ही नहीं है लेकिन जानकारी हर क्षेत्र की है । तेज भागती युवा पीढ़ियों को तो देखो आज वह नाच गाने से लेकर खेल कूद और केबीसी में पैसे कमा रहा है ।

हर मुद्दे पर वाजिब तर्क के साथ वार्ता को तैयार युवा सर्वगुण सम्पन्न है । अब यह धारणा गलत साबित हो रही है कि पढ़ोंगे लिखोगे तो बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे होगे ख़राब । इतना ही नहीं काम करने की ललक में और जिज्ञासा ने आज तमाम बेड़ियों को तोड़ दिया है। सर्वगुणे शक्ति कलियुगे।

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