Wednesday, December 1, 2010

सब्र कीजिए खुलासे बाकी हैं



विकीलीक्स के कई खुलासों से अमेरिका पहले ही परेशान था लेकिन इस बार के खुलासे से अमेरिका ही नहीं बल्कि आतंकवाद के खात्में और मद्द का ढोंग करने वाले राष्ट्रों की कलई भी खुल चुकी है। खुलासे से साफ हुआ है कि अमेरिका ने संयुक्तराष्ट्र में भारत के राजनयिकों की जासूसी के आदेश दिए थे। संदेशों से साफ है कि अमेरिका ने इसके अलावा चीन और पाकिस्तान के राजनयिकों की जासूसी करवाई है। हालांकि, अब तक सामने आए संदेशों से में इस बारे में ज़्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है। विकीलीक्से ने इस बार अमरीकी दूतावासों की ओर से भेजे गए जिन करीब ढाई लाख संदेशों को सार्वजनिक किया है, उनमें से 3038 संदेश नई दिल्लीं स्थित अमेरिकी दूतावास से भेजे गए हैं।
विकीलीक्स द्वारा जारी किए गए संदेशों में पाकिस्तान और ईरान से होकर गुजरने वाली गैस पाइपलाइन परियोजना को लेकर भी अमेरिका ने आशंका जाहिर की है। अमेरिकी संदेशों के मुताबिक पाकिस्तान और ईरान द्वारा गैस परियोजना पर हस्ताक्षर करने के बावजूद इस पूरे परिजनाओं पर संकट छाया हुआ है। यह आशंका पहले ही थी कि इस परियोजना के पूरे होने पर भारत को काफी फायदा हो सकता है।
विकीलीक्सस के खुलासे के मुताबिक पाकिस्ता न को खुश करने के लिए तुर्की ने इस साल की शुरुआत में अपने यहां आयोजित अहम बैठक में भारत को नहीं बुलाया। आतंकवाद के मसले पर आपसी सहयोग के लिए बातचीत के लिए इस्तांकबुल में बुलाई गई इस बैठक में पाकिस्तािन के राष्ट्र पति आसिफ अली जरदारी, अफगानिस्तािन के राष्ट्ररपति हामिद करजई के अलावा अमेरिका के प्रतिनिधियों ने हिस्सात लिया था।

हमारे विदेश मंत्री एस। एम। कृष्णाक ने कहा है कि विकीलीक्सि के खुलासे से भारत को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। लेकिन उन्हों ने यह जरूर कहा कि हमारी उत्सुहकता इस बात को लेकर है कि आखिर अमेरिकी प्रशासन भारत के बारे में क्यात सोचता है। इन खुलासों से अमेरिका को भारत के साथ रिश्ते खराब होने का डर सता रहा है। अमेरिका की यह चिंता वाजिब भी है और हैरान करदेने वाली भी कि जिस देश के राष्ट्राध्यक्ष के आगमन को दीवाली की तरह मनाया जाता हो और उसके हर शब्द को ब्रम्हा का वाक्य मानकर विश्वास किया जाता हो वह देश जब इस तरह की गतिविधियों में संलग्न है तो फिर यह दीवाली किस काम की, और ऐसी कोरी भाषणबाजी क्यों हो ।

श्रीलंका दौरे से नई दिल्लीक लौटते हुये हमारे विदेश मंत्री कृष्णास ने पत्रकारों से कहा, ' भारत सरकार इन दस्तातवेजों को लेकर वाकई चिंतित नहीं है लेकिन यह रोचक होगा कि इनमें क्यात खुलासा होता है क्यों कि विकीलीक्सम ने चार लाख संदेश जारी करने को कहा है।' विदेश राज्य मंत्री परिणीत कौर कहा कि अमेरिका ने सतर्क किया था कि इस तरह के दस्तावेज जारी होने वाले हैं और अमेरिका के साथ हमारे अच्छे द्विपक्षीय संबंध हैं। यह काफी संवेदनशील मामला है । अभी सब्र की जिए विकीलीक्स के खुलासे से अमेरिका की नीति और राजनीति ही नहीं उसकी अर्थव्यवस्था भी हिल जायेगी।

1 comment:

S.M.Masoom said...

इस खुलासे के पहले भी समझदार लोग इस बात को समझते थे. अमेरिका की पोलिसी सब को मालूम है..फिर भी आँख बंद कर लेते हैं. कोई तो कारण होगा.