Saturday, December 4, 2010

रियलिटी का गोरखधंधा



रियलिटी शो का मापदंड क्या है । रियलिटी शो कि परिभाषा क्या है और रियलिटी शो के कंटेन्ट पर निगरानी कौन रखता है यह कोई नहीं जानता । रियलिटी शो गलत नहीं हैं और न ही इससे किसी को आपत्ति ही है लेकिन यह सब कुछ एक दायरें में ही होने चाहिये जो हक़ीक़त में रियल हो और रियलिटी शो लगे । लेकिन ऐसा नहीं है । रियलिटी शो का तमगा लिये कई शो आज आम आदमी के घर में टीवी कार्यक्रमों के प्रति नफ़रत पैदा कर रहें हैं । ऐसा नहीं है कि सभी रियलिटी शो एक जैसे हैं लेकिन अधिकतर कार्यक्रमों में कंटेंट घटिया हैं तो सीन किसी ए श्रेणी की फिल्म की तरह । क्या यही है रियलिटी की परिभाषा और असली जिंदगी का नाटक। रियलिटी शो का मतलब होता है असल जिंदगी का नाटक । यानी जो दिखाया जा रहा है वह हमारे जिंदगी का हिस्सा है । राखी का इंसाफ नाम के रियलिटी शो में राखी ने कई ऐसे कंटेंट का उपयोग किया जो टीवी पर सुनने लायक नहीं थे लेकिन हमने जम कर देखा । मारपीट और जूतम-पैजार भी हुई । यहां तक की राखी ने जज की भूमिका का बेजा इस्तेमाल करते हुये झांसी के एक परिवार के साथ कुछ इस तरह इंसाफ किया कि उस कार्यक्रम का एक युवक कथित रुप से सदमे से मर गया । राखी ने उसके इज्जत पर कीचड़ उछालते हुये उसे नामर्द कहा था । इतना ही नहीं राखी ने तो खुद रियलिटी शो के नाम पर शादी की ही दूसरों की शादियां भी करवा दी । बाद में पता चला कि वे जोड़े तो पहले से ही शादी कर चुके थे। राखी ने उन शब्दों का भी कई बार उपयोग किया जिसे हम शायद घर परिवार के साथ नहीं सुन सकते। तो क्या यही है रियल जिंदगी । टीवी अब आम आदमी के घर का जरुरी हिस्सा बन चुका है । हर घर में टीवी देखा जाता है और उस का अनुसरण भी होता है । लोगों को चटपटा परोसने के चक्कर में ये रियलिटी शो के नाम पर ये शो पूरा का पूरा विष ही परोसने में लगे है । एक दूसरा रियलिटी शो बिग बॉस भी अब फूहड़ और ए ग्रेड का सीरियल हो चुका है । शो में बीप-बीप की आवाज यह बताती है कि इसे सुनाया नहीं जा सकता । लेकिन जा सुनाया जा रहा है उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन बीप में कितनी गालियां होंगी। शो बच्चों पर बुरा असर तो डाल ही रहा है साथ ही साथ परिवार में बातचीत के स्तर को भी बिगाड़ रहा है । रियल जिंदगी की हक़ीक़त दिखाने का दावा करने के नाम पर फूहड़ जिंदगी को क्यों दिखाया जा रहा है दिखाना है। दिखाना ही है तो जिस तरह ए ग्रेड की फिल्में दिखाई जाती हैं उसी तरह दिखाया जायें, जो देखना चाहता है वह आसानी से देखे लेकिन छलावा करके लेवल कुछ और अंदर कुछ और करके क्यों दिखाया जा रहा है । क्या हम बच्चों को खाने वाले बिस्किट की पैकेट में तंबाकू या कोकीन रख कर शहंशाही से बेच सकते हैं ? अगर ऐसा नहीं तो फिर रियलिटी शो के नाम पर काल्पनिक शो क्यों दिखाये जा रहें है । यह रियलिटी शो के नाम पर गोरखधंधा नहीं है तो फिर क्या है ?

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